मन निर्मल दर्पण की भांति है सुख शांति। मन सागर पीड़ा गोताखोर लाई कविता। मन निर्मल दर्पण की भांति है सुख शांति। मन सागर पीड़ा गोताखोर ...
तुमसे बोला तो हमको है ऐसा लगा खुद कहे खुद सुने ये कहानी नयी। तुमसे बोला तो हमको है ऐसा लगा खुद कहे खुद सुने ये कहानी नयी।
नादान प्राणी अब भी समझ ले, मन शरीर का दर्पण हैं, दर्पण झूठ नहीं कहता। नादान प्राणी अब भी समझ ले, मन शरीर का दर्पण हैं, दर्पण झूठ नहीं कहता।
मन के भीतर हमारे कहां ये झांक पाता है। मन के भीतर हमारे कहां ये झांक पाता है।
एक नीड़ का सपना हो अपना एक नीड़ का सपना हो अपना
'अच्छा है अपने को ही, अखबारों सा पढ़ना, खुद से सबक सीखकर खुद ही, अपने को गढ़ना, देख-देख मन के दर्पण मे... 'अच्छा है अपने को ही, अखबारों सा पढ़ना, खुद से सबक सीखकर खुद ही, अपने को गढ़ना, दे...